World Heritage Site: शांति निकेतन बना भारत का 41वां विश्व विरासत स्थल, UNESCO ने की घोषणा

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UNESCO World Heritage Siteशांति निकेतन अब यूनेस्को द्वारा मान्यताप्राप्त विश्व विरासत स्थल (World Heritage Site) बन चुका है। सऊदी अरब में विश्व धरोहर समिति के 45वें सत्र के दौरान शांति निकेतन को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। भारत का 41वां विश्व विरासत स्थल बनना मात्र कोई मान्यता या सिर्फ गर्व की बात नहीं है, यह इस ऐतिहासिक शहर, पश्चिम बंगाल और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक, शैक्षणिक और ऐतिहासिक विरासत का प्रमाण है।


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चित्र: UNESCO ट्विटर अकाउंट से साभार


शांति निकेतन की कला, शिक्षा, प्राकृतिक वातावरण और ग्रामीण विरासत के अनूठे मिश्रण ने पीढ़ियों से लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा है, देशी विदेशी साहित्यिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक और प्रकृति प्रेमी पर्यटकों का दिल मोहा है। अब इस अनूठे स्थल को वैश्विक प्रशंसा प्राप्त हो रही है जिसका यह हकदार है। 



शांति निकेतन (Shantiniketan) स्थापना: नोबेल विजेता रविंद्रनाथ टैगोर और उनके पिता द्वारा स्थापित है शांतिनिकेतन


शांति निकेतन के संस्थापक रवींद्रनाथ टैगोर थे, जिन्होंने इसे 1901 में स्थापित किया था। इसके पूर्व उनके पिता महर्षि देवेंद्रनाथ ठाकुर जो बंगाल के धनाढ्य परिवार में से एक थे। ठाकुर जी ने अपनी साधना हेतु कलकत्ते के निकट बोलपुर ग्राम (अब बीरभूम जिला) में जमीन खरीद कर एक आश्रम स्थापित किया जिसका नाम उन्होंने शांति निकेतन रखा। सन 1901 में गुरुदेव ने किशोर शिक्षा हेतु यहां पर एक प्रयोगात्मक विद्यालय का निर्माण किया जहां भारतीय और विदेशी दोनो प्रकार के शिक्षा का समावेश था। जिसका नाम शुरुवात में ब्रह्म विद्यालय रखा गया। बाद में पुनः उस आश्रम के नाम पर शांति निकेतन कर दिया गया।




शांति निकेतन (Shantiniketan) में गुरुदेव ने स्थापित किया प्रतिष्ठित विश्व भारती विश्वविद्यालय।


शांति निकेतन विद्यालय की स्थापना के डेढ़ दशक बाद गुरुदेव रवीन्द्र ने अपने महत्वकांक्षी योजना की शुरुवात की उन्होंने शांतिनिकेतन में ही पूर्व और पश्चिम शिक्षा का समावेशित रूप से अध्ययन हेतु एक "विश्व भारती विश्वविद्यालय" की परिकल्पना की गुरुदेव टैगोर ने 1921 में शांतिनिकेतन (Shantiniketan)"विश्व भारती विश्वविद्यालय" की स्थापना की। जिसका ध्येय वाक्य है 'यत्र विश्वम भवत्येकनीडम' हिंदी में  "सारा विश्व एक घर है" और अंग्रेजी में "Whole  world is a home"  है। गुरुदेव का स्वप्न साकार हुआ और विश्व भारती संस्था एक अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप में प्रतिष्ठित है। विश्व भारती विश्वविद्यालय गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के उच्च शैक्षणिक विचारों का जागृत स्वरूप है।


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शांति निकेतन (Shantiniketan) के संस्थापक गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर


शांति निकेतन (Shantiniketan) क्यों है प्रसिद्ध?


शांति निकेतन में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा सन 1921 में स्थापित अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप में प्रतिष्ठित "विश्व भारती विश्वविद्यालय" गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के उच्च शैक्षणिक विचारों का जागृत स्वरूप है। उन्होंने इस विश्वविद्यालय के स्थापना के समय स्वयं वक्तव्य देते हुए कहा कि

"विश्व भारती भारत का प्रतिनिधित्व करती है। यहां भारत की बौद्धिक सम्पदा सभी के लिए उपलब्ध है। अपनी संस्कृति के श्रेष्ठ तत्व दूसरों को देने में और दूसरों की संस्कृति के श्रेष्ठ तत्व अपनाने में भारत सदा से उदार रहा है। विश्व भारती विश्वविद्यालय भारत की इस महत्वपूर्ण परम्परा को स्वीकार करती है।"



सादा जीवन उच्च विचार को संपोषित करती, प्रकृति का सानिध्य, प्राचीन एवं आधुनिक, पूर्व से लेकर पश्चिमी देशों के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, एवं आधुनिक शिक्षा पर एक समान जोड़ दिया जाता है। प्रकृति के सानिध्य में पेड़ के नीचे हरी घास के छोटे मैदान में , जलाशय के समीप कक्षाएं चलती है। यह प्रयोगात्मक शिक्षण व्यवस्था भारतीय इतिहास में अनूठी मानी गई है।




शांति निकेतन (Shanti Niketan) के छात्र जो बने महान विभूति।



शांति निकेतन (Shanti Niketan) का होली और पौष मेला ही प्रसिद्ध नही है बल्कि शांतिनिकेतन के विद्यार्थी भी आगे चलकर देश और विश्व में अपनी अमिट छाप छोड़ चुके हैं। जिसमें भारत की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, प्रसिद्ध भारतीय लेखक, कवि, संगीतकार, गीतकार, फिल्म निर्माता सत्यजीत राय, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, नोबेल विजेता, भारत रत्न अमर्त्य सेन, जयपुर राजघराने की राज माता एवं भारतीय राजनीतिज्ञ गायत्री देवी, प्रसिद्ध चित्रकार और बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट के जनक गुरुदेव के भतीजे अवनीन्द्रनाथ टैगोर, अवनीन्द्रनाथ जी के शिष्य प्रसिद्ध चित्रकार, पद्मविभूषण नंदलाल बोस जो बाद में शांति निकेतन के प्राध्यापक भी रहे। शांति निकेतन (Shanti Niketan) यह सूची बहुत लंबी है जिसमे खिलाड़ी, चित्रकार, मूर्तिकार, भाषाविद, अर्थशास्त्री, कला निदेशक, फिल्मकार, नर्तक, गायक, अभिनेता, संगीतकार, उपन्यासकार, विद्वान सम्मिलित है भारत के साथ साथ विदेशों में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं।



पर्यटन मंत्रालय का भागीरथ प्रयास वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर भारत का बढ़ा कद 


पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार के केंद्रीय पर्यटन मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लगातार कटिबद्ध होकर कई महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। उनके नेतृत्व में भारत में महत्वपूर्ण पर्यटन गंतव्य के रूप में खुद को स्थापित कर चुका है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी जो स्वयं एक महान घुमक्कड़ और तीर्थयात्री हैं उनके कार्यकाल के विगत वर्षो में दर्जन भर भारतीय पर्यटन स्थल विश्व विरासत स्थल की सूची में खुद को दर्ज करवा चुके हैं।



नोबेल विजेता प्रसिद्ध साहित्यिक विभूति गुरु रविंद्रनाथ ठाकुर द्वारा स्थापित शांति निकेतन के महत्व को विश्व मंच पर  स्वीकार कर विश्व विरासत सूची (World Heritage Site) में सम्मिलित करने के लिए यूनेस्को (UNESCO) के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। यूनेस्को का यह कार्य पश्चिम बंगाल में पर्यटन के लिए नए क्षितिज खोलने, पश्चिम बंगाल में अधिक पर्यटकों को लाने और स्थानीय समुदाय के लिए पर्यटन द्वारा अनगिनत नए आर्थिक अवसर प्रदान करने का द्वार खोलेगा।  



हम सब भारतीय को भी चाहिए की संकल्पबद्ध होकर सामंजस्यपूर्ण रूप से "शांति निकेतन" के साथ-साथ भारत के समस्त मूल्यवान ऐतिहासिक धरोहरों, प्राकृतिक संपदाओं समेत सभी प्रकार के पर्यटन स्थलों को संजोए इन्हे सुरक्षित और संरक्षित रखने का अनवरत प्रयास करते रहें।



Editedज्ञात हो कि इस वर्ष भारत के दो स्थलों को विश्व विरासत स्थल की सूची में स्थान मिला है। 41 वां शांतिनिकेतन और 42वां कर्नाटक के होयसल के पवित्र मंदिर समूह (Sacred Ensembles of the Hoysalas) को नामित किया गया है।


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