भारतीय महिलाओं ने सदैव अपनी प्रतिभा और कौशल का लोहा पूरे विश्व में मनवाया है। आज महिलाएं एक सफल समाज सुधारक, उद्यमी, प्रशासनिक सेवा अधिकारी, राजनायिक, वैज्ञानिक, खिलाड़ी आदि है। इसी कड़ी में भारतीय रेलवे के 166 वर्ष के इतिहास में पहली बार एक महिला भारतीय रेलवे के सबसे ऊंचे ओहदे पर काबिज हुई हैं। जया वर्मा सिन्हा ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और CEO (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) के रूप में कार्यभार को 1 सितंबर, 2023 शुक्रवार से संभाल चुके हैं। इससे पहले जया वर्मा सिन्हा रेलवे यातायात सेवा की वरिष्ठ अधिकारी भी रह चुकी है।
देश के पहले महिला रेलवे बोर्ड अध्यक्ष का प्रयागराज से है नाता
बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रहने वाली जया वर्मा सिन्हा का जन्म प्रयागराज में हुआ था। उनके पिता विबी वर्मा भी A ग्रेड अधिकारी रह चुके हैं। जया वर्मा की स्कूली पढ़ाई से लेकर विज्ञान स्नातक और मनोविज्ञान से मास्टर्स भी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, प्रयागराज से ही हुआ था। पढ़ाई के बाद उन्होंने भारतीय रेल यातायात सेवा (IRTS) की परीक्षा भी पास किया। आईआरटीएस के ट्रेनिंग के समय ही अपने सहकर्मी नीरज सिन्हा जी से उन्होंने विवाह किया हालांकि उनके पतिदेव ने बाद में देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा में से एक यूपीएससी की कठिन परीक्षा पास कर आईपीएस के रूप में चयनित हुए थे।
कैरियर के शुरुवात में ही फील्ड वर्क को बनाया अपना लक्ष्य
जब भारतीय रेल यातायात सेवा (IRTS) सर्विस में महिलाओं की उपस्थिति बेहद मामूली थी उस समय जया ने आईआरटीएस को चुना। जिस समय महिला कर्मचारी रेलवे की नौकरी में ऑफिस में बैठकर काम करने के लिए इंडियन रेलवे अकाउंट सर्विस (ARAS) या इंडियन रेलवे पर्सनल सर्विस (IRPS) का चुनाव करती थीं। इस समय उन्होंने ऑफिस में बैठनें वाली जॉब के बजाय फील्ड जॉब को तरजीह दी। क्योंकि आईआरटीएस (IRTS) में सुबह से लेकर रात तक काम करना होता था, चार बजे भी उठकर सर्विस एरिया पहुंचना होता था दोपहर की धूप में भी गर्म ट्राली में पटरियों पर इंस्पेक्शन करना होता था। रेलवे के अलग-अलग विभागों के साथ भी को-ओर्डिनेशन करना होता था। अपने सीनियर और जूनियर सबके साथ मिलकर और साथ चलकर काम करना उन्हे ज्यादा पसंद था।
भारत-बांग्लादेश मैत्री ट्रेन परिचालन में रहा अहम योगदान
जया वर्मा सिन्हा ने अपने लगभग 35 वर्षों के कार्यकाल में दक्षिण पूर्व रेलवे, उत्तर रेलवे, और पूर्व रेलवे में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहे। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में लगभग 4 वर्षों तक भारतीय उच्चायोग के रेलवे सलाहकार के रूप में कार्य किया। जया सिन्हा जी का बांग्लादेश रेलवे के मॉडर्निजेशन और विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनके कार्यकाल के दौरान ही कोलकाता से ढाका "मैत्री एक्सप्रेस" का शुभारंभ हुआ भारत-बांग्लादेश मैत्री ट्रेन परिचालन में महत्वपूर्ण योगदान दिया गया। मैत्री ट्रेन बांग्लादेश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान निभा रहा है।
बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य द्वारा की जाती है। उन्हें नई नियुक्ति के साथ ही सेवा विस्तार भी दिया गया है। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी पद पर जया वर्मा सिन्हा जी 31 अगस्त 2024 तक बनी रहेंगी।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी पद क्यों है महत्वपूर्ण
भारतीय रेल को भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार कहा जाता है। भारतीय रेलवे बोर्ड, भारतीय रेलवे का प्रमुख प्रबंधन निकाय है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है और यह रेलवे के सभी प्रक्रियाओं का निगरानी और निर्देशन करने के लिए जिम्मेदार है। बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य द्वारा की जाती है। रेलवे बोर्ड भारत का एक ताकतवर निकाय है जो रेलवे के कामकाज को सुचारू रूप से चलाने के साथ-साथ उसके विभिन्न क्रियाकलापों को व्यवस्थित करता है, उसके नीतियों और रणनीतियों को भी तैयार करता है और सरकार और उसके अन्य हितधारकों के साथ भी सहयोग करता है। भारतीय रेलवे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के रूप में यह निकाय महत्वपूर्ण है और रेलवे को सुलभ और किफायती बनाने के लिए सदैव कठिन प्रयास करता रहता है। इसी महत्वपूर्ण बोर्ड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी पद पर जया वर्मा सिन्हा की नियुक्ति हुई है।
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