Yati: हिममानव अथवा यति काल्पनिक प्राणी नही बल्कि वास्तविक हैं ये रहे प्रमुख प्रमाण।

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भारतीय सेना की #पर्वतारोहण टीम ने 9 अप्रैल 2019 को मकालू बेस कैंप के नजदीक 32x15 इंच वाले हिममानव 'येति' के रहस्यमय पैरों के निशान देखे हैं. यह मायावी हिममानव इससे पहले केवल मकालू-बरून नेशनल पार्क में देखा गया था #भारतीय_सेना ने हिमालय में #हिममानव #येति की मौजूदगी का दावा किया है। यह पहली बार है जब भारतीय सेना ने सबूतों के साथ 'येति' की मौजूदगी का अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कुछ तस्वीरें शेयर की हैं, जिसमें बर्फ के बीच बड़े-बड़े पांव के निशान देखे जा सकते हैं। इन निशानों को हिममानव यानी की 'येति' का माना जा रहा है।


Tripbro - हिममानव अथवा यति काल्पनिक प्राणी नही बल्कि वास्तविक हैं ये रहे प्रमुख प्रमाण।
चित्र - भारतीय सेना पर्वतारोहण टीम के ट्विटर अकाउंट से साभार


यति/येती का क्या अर्थ होता है?


येति का अर्थ संयम, नियंत्रण और मार्गदर्शन होता है। मनुष्य जब अपनी आध्यात्मिक चेतना को जागृत कर लेता है यानी मानवत्व से आगे बढ़कर देवत्व की ओर बढ़ने लगता है तो उसे यति की संज्ञा दी जाती है। भारतीय पुराणों के अनुसार येती में अतिंद्रिय शक्तियां भी होती है। सनातन धर्म के ही एक मुख्य भाग जैन धर्म में भी यति धर्म की व्याख्या की गई है। जैन धर्म में यति धर्म का पालन एक महत्वपूर्ण भाग माना जाता है। जिसके अंतर्गत क्षमा, विनम्रता, सादगी, लोभ का त्याग, तपस्या, संयम, सत्य, पवित्रता या व्यक्तिगत स्वच्छता, त्याग, एवम ब्रह्मचर्य है।

येति के अन्य नाम


येति को अमेरिका में बिग फुट, ऑस्ट्रेलिया में यूवेई, इंडोनेशिया में साचारण भिगी, ब्राजील में मंपिंग गुड़ी, भारत और नेपाल में येति कहा जाता है। रामायण से जुड़ी कथाओं के अनुसार नेपाल में यति को राक्षस भी कहा जाता है। हिंदू धर्म की कुछ ग्रंथो के अनुसार कुछ नेपाली और हिमालय की तराई के इलाकों में भगवान श्रीराम और माता सीता के बारे में प्रचलित लोक कविताओं और गीतों में भी कई जगह येति का उल्लेख किया गया है।






★ आधुनिक काल सबसे पहले हिम मानव के बारे जानकारी तब मिली जब 1832 में एक पर्वतारोही बी.एच. होजशन ने येति के बारे में जानकारी BAS के जर्नल में दी, जिसे उनके गाइड ने देखा था।

★ 1951 में ब्रिटिश खोजी एरिक शिप्टन माउंट एवरेस्ट पर जाने के लिए प्रचलित रास्ते से अलग एक रास्ते की तलाश कर रहे थे, उसी रास्ते पर कहीं उन्होंने एक तस्वीर पश्चिमी एवरेस्ट के मेन लोंग ग्लेशियर पर खींची थीं। इस चित्र में पैरों के ये निशान करीब 13 इंच लंबे थे। हालांकि भरतीय सेना जो पद चिन्ह लिये है वो उनसे भी ज्यादा बड़े हैं। यहीं से शुरु हुई, आधुनिक युग में येति के रहस्य की चर्चा।

★ एक हिमालयी खोजी ब्रायन बार्ने ने दावा किया की 1959 में अरुण घाटी में उन्होंने येति के पैरों के निशान देख चुके थे।


★ इटली के पर्वतारोही ' रैनोल्ड मेसनर ने तो यह दावा भी कर दिया कि उन्होंने येति को ही देखा है। अपने जीवन के अंतिम समय तक इस बात पर वो अटल रहे थे।

★येति के किस्से 326 ईसा पूर्व में भी मिल जाते हैं, जब #सिकंदर भारत को जीतने आ पहुंचा था, सिकंदर को भारतीय पौराणिक कथाओं पर विश्वास भी था, उसने एक येति को देखने की इच्छा जाहिर की थी।


कैसा होता है यति यानी हिम मानव का शरीर




★सन् 1925 में पेशेवर फोटोग्राफर तथा रायल जिओग्राफिकल सोसायटी के सदस्य एम.ए. टोमबाजी ने लिखा कि उन्होंने जेमू ग्लेशियर (कंगचनजंघा पर्वत माला) के पास 15,000 फुट की ऊँचाई पर बालों से ढ़का एक विशालकाय प्राणी देखा है। टोमबाजी ने स्पष्ट रूप लिखा है कि उन्होंने उसे लगभग 200 मीटर दूरी से देखा। वे एक मिनट तक उसे निहारते रहे। यति की शारीरिक बनावट पूरी तरह से इंसानी थी, लेकिन शरीर पर बहुत अधिक मात्रा में बाल थे। उसके तन पर कपड़े जैसी कोई चीज नहीं थी।

★ सन् 1960 में एवरेस्ट के विजेता सर एडमंड हिलेरी को कथित तौर पर हिमालय में यति की खोपड़ी मिली। उन्होंने इसे जाँच के लिए पश्चिमी देशों में भेजा था।

★ हिममानव और मानव की मुलाकातों के कई किस्से हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले पहाड़ी गांवों के अनुभवी बूढ़े सुनाया करते हैं। भूटान में कुछ बुजुर्ग ऐसे हैं, जिनके लिए हिममानव कोई आश्चर्य की बात नहीं है। उनके मुताबित, उनके बचपन के जमाने में हिममानव दिखना सामान्य बात थी। 77 साल के सोनम दोरजी का कहना है कि यति का इतिहास सदियों पुराना है और वे आज भी मौजूद हैं।


सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं

भारतीय सेना की माउंटेनियरिंग एक्पेडिशन टीम ने पौराणिक जीव येति के रहस्यमयी पदचिह्नों को देखने के दावे वाले फोटो ट्वीटर पर अपलोड होने के बाद सोशल मीडिया पर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इस ट्वीट को ट्रोल कर रहे हैं तो बहुत से लोग सेना को बधाई भी दे रहे हैं। सच या झूठ का दावा मैं भी नही कर रहा हूं। लेकिन इस पौराणिक पात्र के बारे में जो पौराणिक प्रमाण हैं वो इसके होने की पुष्टि करता है। क्योंकि जब तक कहीं आग ना लगे धुवां दिखता नहीं है।


विदेशों में भी UFO, परग्रही प्राणी, जलपरी, बैटमैन, Bigfoot, Vempire आदि को सत्य माना जाता है। जबकि वैसे वैंपायर, नरपिशाच, बिगफूट परग्रहियों को अपने पॉकेट में लेकर चलने का दावा करने वाले भी हमारे देश की गलियों में मिल जायेंगे। चूंकि भारत में यति के पदचिन्ह मिले हैं तो वो कोई भालू ही होगा और सीधा पौराणिक पात्रों को नकार देना उनकी ओछी मानसिकता ही दर्शाता है और कुछ नही।




10/अप्रैल/2019 को visitones वेबसाईट के लिए लिखे गए मेरे पोस्ट की एडिटेड कॉपी।

_ माधव कुमार
travelperfact@yahoo.com
Visitones.com
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