बेगूसराय में rush riding दुर्घटना से बाल-बाल बचाव भरा दिन।

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आज का दिन थोड़ा व्यस्तता वाला रहा।
आज दीदी, जीजा जी भांजे भांजी को स्टेशन छोड़ने गया था वो लोग लगभग 2 महीने छुट्टियां मनाकर अपने जन्मस्थान बेगूसराय से राजस्थान अपने कर्मस्थल और निवास स्थल पर जा रहे थे।
बारिश रुक रुक कर हो रही थी, ट्रेन में उन्हें बिठाने के बाद मन संशय में था कि बारिश में कुछ पुराने मित्रों से मिल लूँ या घर चला जाऊं?

चूँकि मैं पैदल ही था इसलिए आजाद परिंदे की भांति उड़ रहा था। 

स्टेशन के पश्चिमी छोर से गुजरने क्रम में नजदीक में ही काली मंदिर में पुजारी जी प्रसाद और आरती दे रहे थे हाथ गंदा होने के कारण नही लिया। आरती ले लिया था और माता को प्रणाम करके आगे बढ़ा।

अचानक से फिर से तेज बारिश शुरू हो गयी, बारिश से बचने के लिए नजदीकी रेलवे पुलिस थाना में लकगभग दौड़ते हुए पहुंचा और रुक गया,

 अचानक रेलवे के दो फिट पुलिस वाले दौड़ते हुए एक ओर गए जिस ओर दो लोग गठरी लिए हुए छिप कर रेलवे ट्रैक पार कर रहे थे। अवैध शराब के संदेह में उसके गंदे गठरियों को चेक करने लगें। मैं भी उस ओर गया और देखने लगा। कुछ तो आपत्तिजनक था उन दोनों गठरी वालो के पास क्योंकि एक गठरी देखने नही दे रहे थे।

इस घटनाक्रम के बाद अपने एक भतीजी के लिए एक्रिलिक कलर, और ब्रश लेने गया।  बेगूसराय का ट्रैफिक चौक अब स्वामी विवेकानंद चौक के नाम से जाना जाता है, वहीं एक पुराने मित्र की स्टेशनरी दुकान है जिसका नाम है 'ज्ञानोदय' । 

पुराने मित्र के दुकान पर जाने का लाभ यह मिला कि  50 %डिस्काउंट में समान लिया हूँ वो पैसे ही नही ले रहा था। बाद में उसने उतना कलर बॉक्स फ्री में भी दिया साथ में पेन, डायरी, पेंसिल और कलेंडर भी।

अब घर की ओर पैदल ही प्रस्थान कर रहा था कि रेलवे ट्रैक के बाद कोई ग्रामीण बाइक से मिल ही जायेगा या कोई इ-रिक्शा 10 मिनट में पहुँचा ही देगा। 

रास्ते में जे.के. इंटर कॉलेज के आसपास कोविड नियमों की लगातार धज्जियां उड़ रही थी। एक तमाशा वाला मौलवी मजमा लगाए हुए खेल तमाशा दिखा रहा था। कुछ जनता भी फालतू की भीड़ लगाए उसके झूठे अनर्गल बातों से बेकार में डर रहे थे।

दूर से ही उसके फ़ोटो उतारे और बेगूसराय हेल्प वाले ग्रुप में do the needful लिखकर प्रेषित कर दिया।

थोड़ा आगे बस स्टैंड की तरफ फल वाले दुकानों के बाद एक बदबूदार नजारा देखने को मिला, मछलियां बेची और उसे वहीं सड़क पर काटी जा रही थी। जबकि मछली बाजार मुख्य बाजार के पास है। आष्चर्यजनक यह रहा कि वहां घोंघा बेचने वाले भी बहुतायत में थे। जिस सीफ़ूड के नाम पर अमीर लोग खाते हैं वो सीफ़ूड बेगूसराय में गरीब जैसे दिखने वाले लोग बेच और खरीद रहे थे।

उसके बाद आगे बढ़ने पर पापी मन भटकने लगा भोजनालयों से आ रही स्वादिष्ट खुशबू से नथुने फडफडाने लगे अंदर का भेड़िया जगने लगा था। लेकिन मन को समझाते हुए 'लालच बुरी बला' के सिद्धांतों पर अटल रहते हुए, समोसे, छोले भटूरे, लिट्टी, जलेबी को धोखा देते हुए पावर हाउस आ गया ढेर सारे इ रिक्शे वाले वहाँ थे लेकिन मैं भी स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेते हुए ध्येयनिष्ठ आगे बढ़ता गया।


रेलवे क्रॉसिंग पर करते ही फिर मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। एक इ रिक्शा दिखा उसी में शरण लिया।

थोड़ी देर बाद दो महिलाएं आयी तो वो मेरे सामने बैठ गई। मैं भी उन दोनों को पूरा सम्मान देते हुए अपने पैर मोड़ लिए थे।
बारिश और तीव्र हो गयी तो प्लस्टिक से घेर दिया गया। मैं गर्दन घुमाकर ड्राइवर के पीछे से आगे देखने लगा। अचानक एक बाइक तेजी से आई सामने गिरी और इतनी तेजी से रिक्शे में टकराई तो ऐसा लगा जैसे हिरोशिमा पर अमेरका ने एटम बम मार दिया। 10 सेकेंड तो कुछ पता ही नही चला क्या हुआ गाडी गड्ढे में पलट चुकी थी।

और जिस गेट से मैं घुसा था वो ऊपर था और दोनो महिला जिस साइड से थी वो जमीन पर था। दोनो महिला दबी हुई थी। अब मुझे हाथों के सहायता से खुद को बाहर निकलना था लेकिन औरतें दबी हुई थी तो लगा कही और दवाब न बढ़ जाये।

फिर सांस लिया और  दूसरे साइड से हाथों के सहारे निकला और रिक्शा उठाना शुरू किया, लेकिन उसमे दो महिला और एक ड्राइवर का वजन था उठा ही नही पाया। कुछ लोग आए मदद को तो उन दोनों महिलाओं को निकाला पकड़ पकड़ के।
दोनो अपना सर पकड़े हुए एक दूसरे के बारे में चिंतित हो रही थी। दोनो एक दूसरे ननद और भाभी थी।

थोड़ा सांस लिया, मेरा  हृदय कांप रहा था और  हाथ थरथरा रहे थे। फिर जिसने टक्कड़ मारी थी उसे देखा तो एक तरफ मरणासन्न हालत में था। उसके पीछे बैठा आदमी अलग घिसट कर आने जीन्स टीशर्ट फाड़ चुका था। फिर देखा तो एक बाइक नही दो और बाइक गिरे हुए मिले एक आदमी गंदी गालियां देते हुए दूसरे साइड के गड्ढे से निकला एक लड़का अपने दोनों मोबाइल और बाइक के हेडलाइट टूटने का जुर्माना लेना चाह रहा था।

पुलिस को फोन किया तो नेटवर्क में जाने क्या दिक्कत थी मेरे मोबाइल से कांटेक्ट हो नही पाया।
इधर दोनो बाइक वाले लोग अपने अपने आदमी को फोन करके बुला चुके थे। उस तीसरे खराब राइड करने वाले बाइक वाले से जुर्माना वसूलने के लिए।

मैं बोला पहले तुम लोग इलाज करा लो और जो दोनो बेहोश है उसका समुचित इलाज करवाकर फिर आपस में लड़ लेना।

मेरे उसी रास्ते से गुजरते कुछ ग्रामीण बंधु भी पहुँच चुके थे माथे और कमर को गमछे से टाइट करके।😀  मेरे आंगन के दो-3 भतीजे भी बाइक से आये। एक दो जिसे चेहरे से पहचानता हूँ पर नाम नही जानता उसमे से एक नए जोर-जोर से बोलते हुए बड़बोले आदमी को 2-4 झापर लगाते हुए पूछे कौन टक्कड़ मारा। जाकर बीच बचाव करना पड़ा कि ये नही है। जिसने टक्कड़ मारी उसको हॉस्पिटल भेजा जा रहा है।
उन दोनों महिलाओं को हॉस्पिटल भेजकर इ रिक्शा वाले को बिना भाड़ा दिए एक भतीजे के बाइक पर बैठ कर घर आ गया। भूलवश भाड़ा ना देने का मलाल रहेगा।

बांकी रामजी जी की कृपा से हमेशा बचता हुआ आया हूँ और आज भी इस एटॉमिक हमले में भी बिना खरोंच लगे बच गया हूँ।

रामो राजमणि सदा विजयते, रामं रमेशं भजे।🙏

बांकी आप पर निर्भर करता है। अपनी कुछ टिप्पणी अवश्य करें।

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1टिप्पणियाँ
  1. वाह! जीवन कितना अंतहीन किस्से लिए चलता है। कब कौन सी घटना एक अन्य किस्से के साथ उपस्थित हो जाये। कहा नहीं जा सकता।

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