सरकारी स्कूल की एक मजेदार व यादगार घटना।

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बात उन दिनों की है जब मैं कक्षा प्रथम, शिशु विद्या मंदिर में पढ़ता था। किसी कारणवश वहां से निकलकर गांव के सरकारी स्कूल में मेरा एडमिशन करवाया गया।मेरे गांव में टेस्ट भी लिया जाता हूं। टेस्ट के बाद एडमिशन होता है तो गणित के कम अंक छोड़कर सभी में अच्छे नंबर थे। मुझे कक्षा 6 में प्रमोट कर दिया गया अब था तो मैं बच्चा लेकिन पंचायत के कई सारे स्टूडेंट्स पढ़ते थे। 


भूमिका ज्यादा लंबी हो गयी_अब सीधे  असली घटनाक्रम पर आता हूँ।

 कक्षा छह में तीन चार महीने हो चुके थे कुछ मित्र भी हो चुके थे क्योंकि सबसे छोटा था और दिखता भी बहुत छोटा था। चूंकि गांव का स्कूल था और ड्रेस कोड नहीं था लेकिन इतना था कि  स्टूडेंट्स सही कपड़े पहन कर के आए तो एक ग्रामीण लड़का था उसने नया-नया पजामा खरीदा था और मेरी बातचीत (मेरी बस मुस्कुराहट होती थी या सर हिलता था) एक छात्र मार्किट से मॉडर्न पजामा पहन के स्कूल आया था। सबको पजामा दिखा रहा था, जो नए डिजाइन का था तो मैंने मजाक मजाक में कह दिया की भाइजी पजामा तो तुम्हारा सही है लेकिन तुमने इसे उल्टा क्यों पहन रखा है। फलाने फ़िल्म में मिथुन चक्रवर्ती ने इसे पहना था। इन नए मॉडल का पजामा है पहन तो ली लेकिन इसको कैसे पहनना है वह तुम्हें तो पता ही नहीं है। दुकानदार से भी पूछ लेते कम-से-कम।  दो चार लड़कों ने और गांव की लड़कियों ने भी हामी भर दी उसने कहा कि हां तुमने गलत तरीके से पहना है।



प्रार्थना के बाद की घटना है   क्लास टीचर किसी भी समय आ सकते थे। थोड़ा समय था, मौका था उसके पास उसने पजामा को खोला और क्लास में बदलने लगा। तो जल्दबाजी करने के चक्कर में पजामा उलझ गया।  और उसी समय कक्षा शिक्षक महोदय का आगमन हो गया। अब उस लड़के की हालत सांप छुछुन्दर वाली हो गयी। एक पैर पजामे में था दूसरा पैर पजामे से बाहर था और पजामा उलझा हुआ था। शिक्षक महोदय ने इस हालत में देखकर उसे पीटना शुरू कर दिया। और गांव में तो जानते ही हैं कि शिक्षक कम सुरमा ज्यादा होते हैं। कभी कभी अपना मूड फ्रेश करने के लिए भी छात्रों को पीट दिया करते थे। इतना पीटते हैं कि हालत खराब हो जाती है।  क्लास के बाहर उसे मैदान में दौरा-दौरा करके पीटा जाने लगा।  मेरा थोड़ा सा मजाक उसके लिए उस दिन भारी पड़ गया।



लेकिन कुछ छात्र स्कूल ही इसलिए जाते थे कि सर से फूल बॉडी मसाज करवा सके। उसे भी मार खाने की आदत थी और गुरुजी की पिटाई को वरदान समझा जाता था। 2 शिक्षक का उस छात्र पर विशेष लगाव था स्कूल में बिना उसकी पिटाई के शायद छुट्टी नही होती थी।


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