स्वप्न यात्रा अगले दिन ही पूरी हुई। बनारस काशी की यात्रा पंचपत्र बेलपत्र का दर्शन

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कल वाराणसी/काशी जी की यात्रा पर आलेख लिखते समय बहुत सोच रहा था। बाबा विश्वेश्वर जी, गंगा मैया, गोस्वामी तुलसीदास जी, काल भैरव जी, माता अन्नपूर्णा जी इत्यादि के विषय में इतना सोचा की नींद के उपरांत भगवान विश्वनाथ और गंगा मैया की दिव्य आरती ही स्वप्न में आ रहे थे। 


पंचमुखी बेलपत्र
पंचपत्र वाला दुर्लभ बेलपत्र


अब मेरे जैसे मूढ़ की बात दिवास्वप्न जैसी ही आप सबको लगेगी लेकिन मेरे साथ ऐसा प्रायः होता है। कॉमिक्स, कहानी, सिनेमा, यात्रा, परिक्षा के समय अथवा कोई आयोजन के बारे में ज्यादा सोचने पर स्वप्न में उसी तरह के विचार उमड़ने- घुमड़ने लगते हैं और वैसा ही परिदृश्य दिखाई देता है। वैज्ञानिक रूप से भी सिद्ध है बहुत लोगों के साथ स्वप्न में उनके दिनभर के विचार जो उनके अवचेतन मन में चलते हैं स्वप्न में दृष्टिगोचर हो जाते हैं। शायद आपके साथ भी ऐसा जरूर होता होगा।


देर रात सोने के पश्चात रात स्वप्न में काशी जी, देवाधिदेव विश्वनाथ, गंगा मैया की देवताओं द्वारा की गई संध्या दिव्य आरती आदि देखते देखते सुबह में मां की आवाज पर और चाय की सोंधी सुगंध पर ही नींद खुलती है। मां बोल रही थी भाईजी मोबाइल लेकर बेल गाछ (बेल का पेड़) के नीचे बुला रहा है।


वहां जानें पर दुर्लभ पांच पत्र वाले बेल पत्र की फोटो लेने को भाईजी बोले। बेलपत्र सामान्य तौर पर तीन पत्र वाले ही होते हैं।


अब भाईजी बोले "अब जल्दी से दोनो नहा कर के शिवालय जाओ"  और शिवलिंग पर इस पंच बेलपत्र को अर्पण करके आओ। ईश्वर से कुछ विशेष चाहिए तो मांग लेना। दोनो मतलब (मैं और मेरा भतीजा राज बाबू)


आज्ञा शिरोधार्य करके तुरंत नहाने लगा और साथ में अपने भतीजे को भी नहलाया, उसे तैयार होने भेज दिया और नहाने में लग गया नहा करके पूजा करके जब भतीजे को साथ करके जाना चाहा तो एन मौके पर उसने धोखा दे दिया, वो अपने दादाजी के साथ हो गया था।  अब हमारे घर में परिस्थिति ऐसी है की मेरे बाबूजी के पास जो बच्चा गया तो वो जबतक अपने कमरे में रहेंगे अड़ोस पड़ोस के भी सारे बच्चे वही रहेंगे। ये तो अपना पोता ही है।


पचम्बा भगवती स्थान शिवलिंग पर अर्पित पांच पत्ते वाले दुर्लभ बेलपत्र
पचम्बा भगवती स्थान के शिवलिंग पर अर्पित पांच पत्र वाले दुर्लभ बेलपत्र



आखिर शिवालय मुझे अकेले ही जाना पड़ा लेकिन वहां पर मेरे अपने छोटे चाचा पहले से पूजा कर रहे थे उनके पीछे-पीछे मै भी पूजा कर रहा था। अब साधारण शिवालय हो प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग जब जलार्पण करता हूं तो भगवान से कुछ मांग ही नहीं। वैसे भी जो हर मन की बात और व्यथा जानता है, जो सब पर तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं वो भोलेनाथ देवाधिदेव को मेरे बारे में भी सब पता ही होगा। और एक पुरानी कहावत है,  "बिन मांगे मोती मिले, ........... कमेंट में आप पूरी कहावत लिख सकते हैं।


भगवान को अर्पित करने के उपरांत बेलपत्र को लेमिनेशन करवा कर पूजा घर में रख लिया हूं।
दुर्लभ बेलपत्र को लेमिनेशन करवा लिया हूं ।


 हर हर महादेव

पंचपत्र वाले बेलपत्र  और शिवालय में शिवलिंग के छायाचित्र संलग्न है।


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