समस्त सम्मानित सदस्यों को नमस्कार।
इसमें पहले की आप का अंगूठा इस पोस्ट को स्क्रोल कर दे उससे पहले आप सबको 'घुमक्कड़ी दिल❤️ से' के स्थापना दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं। 💐🙏❤️
घुमक्कड़ी दिल से या शॉर्ट में कहें तो GDS.
GDS शब्द से मेरा नाता अपने स्नातक काल में हो चुका था। जब मैं पर्यटन अध्ययन से स्नातक कर रहा था तो उसके पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाने वाला शब्द था GDS यानी की ग्लोबल डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम(Global Distribution System) इसके भी विभिन्न स्तरीय पाठ्यक्रम होते हैं जिसका एयरलाइंस एवं हॉस्पिटलटी इंडस्ट्री में महत्वपूर्ण योगदान है। मैं विषयांतर नही हो रहा हूं, आगे पढ़ने पर आपको पता चलेगा की मैं ऐसा क्यों बता रहा हूं।
पर्यटन प्रबंधन से स्नातकोत्तर (Masters In Tourism Management) करने के बाद मेरा नाता जिस GDS से जुड़ा उसका शाब्दिक अर्थ है 'घुमक्कड़ी दिल से'
एक GDS ने कमाना सिखाया है, तो इस GDS ने जीना सिखाया है। घुमक्कड़ी दिल से ने जिंदगी कैसे जी जाती है सिखाया ही उसके साथ-साथ मुझे जिंदा रहने के लिए खाना बनाना भी सिखाया है। 😀🙏
चूंकि अध्ययन, कर्म और शौक तीनो में घुमक्कड़ी थी तो ढेर सारे देशी, विदेशी यात्रा समूहों से जुड़ते हुए यहां भी जुड़ा और जुड़ता ही चला गया। दिल्ली में रहते हुए योगी सारस्वत भैया, संजय भैया, यशवंत जी, सुशांत सर, रितेश भैया, रूपेश भैया, प्रतीक भाई दुर्गेश जी, मोनालिशा जी और तुलु, नंदिनी पांडे जी, कौश्तुभ, योगेश चौहान जी, प्रकाश मिश्रा जी, शरद भैया, जितेंद्र भैया, राजीव भैया, राहुल जी, सचिन त्यागी जी,वीरेंद्र शेखावत जी, माधवी दी, बलकार सर, माथुर सर दिवंगत शंकर राजा राम सर, दिवंगत डा. सुभाष सर, दिवंगत विद्युत प्रकाश सर इत्यादि कई धुरंधर घुमक्कड़ों का सानिध्य मिला जिनका प्रेम, स्नेह और सम्मान आज भी लगातार मिल रहा है।
आभासी संसार में भी ऐसे कई नाम हैं जिनसे परस्पर ना मिलने के बावजूद (लेकिन ऐसा प्रतीत होता है) उनसे लगातार निकटता बनी हुई है, जिसमें इतने सारे नाम है की बयां नहीं कर सकता हूं लेकिन कुछ विशेष नाम अवश्य लेना चाहता हूं, जिनसे बहुत कुछ सीखा हूं, और उन महान घुमक्कड़ों का नाम बिना लिए ये पोस्ट पूरा नहीं हो पाएगा। जिनका स्नेह और प्रेम मुझे लगातार मिल रहा है। सचिन भाई जांगड़ा, अल्पा दी, दर्शन बुआ, डा. अजय भाईजी ( सॉरी ओ शाब जी) अमन दा, किशन भाई जी, बृजबिहारी सर, आशीष सर, गिरिजा आंटी, शीला आंटी, सरोज जी, चारू जी, बिमल भाई जी, विनोद जी, अभिषेक भाई, मुकेश भैया, प्रमोद बबेले जी (चाचा श्री), रोहित जी, प्रजापति जी, नटवर जी, कपिल जी, नरेंद्र जी, राजेश भैया, प्रकाश सर, ऋषभ जी के साथ-साथ और भी कई नाम है। जीवन में उन सबसे कम से कम एक बार तो अवश्य मिलूंगा।
ऊपर के कुछ नाम जैसे सचिन जी, मोनाजी, नंदिनी जी, अमन दा, अल्पा दी, दर्शन बुआ, सरोज जी, ओ शाब जी ने तो संक्रमण काल में भोजन बनाने हेतु अपना कीमती समय देकर फोन काल पर लगातार रेसिपी बताते ही रहे, मानसिक तौर पर भी मुझे मजबूत बनाते रहे, लगा ही नहीं कभी मैं अपने परिवार से दूर हूं। ईश्वर और जीडीएस की कृपा रही की संक्रमण काल के शुरू से लेकर अबतक मैं बीमार नही हुआ हूं। और दिल्ली में ना कभी अकेलापन महसूस हुआ हैं। ऐसा इसलिए लिख रहा हूं की मेरे जैसे हमेशा रिजर्व रहने वाले युवा बोलना कमतर सुनने समझने पर अधिक ध्यान देने वाले युवा अक्सर मानसिक अवसाद का शिकार हो जाते हैं, लेकिन जीडीएस परिवार के मात्र कुछ सदस्यों के कारण मेरे साथ ऐसा कभी कुछ नहीं हुआ।
घुमक्कड़ी दिल❤️ से ( वाराणसी) |
दिल्ली प्रवास में रहते हुए मैने काफी घुमक्कड़ी किया, जिस ऐतिहासिक स्थान के बारे में पता चलता वहां अवश्य जाता, जिस नए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक अथवा वाणिज्य मेले या कार्यक्रम का पता चलता वहां अवश्य जाता था। कई के एंट्री पास भी मिलता था तो मित्रों के साथ भी उत्सव आदि में भाग लेता रहता था। घुमक्कड़ी दिल❤️ से के कई सद्स्य के संग भी बहुत घुमक्कड़ी हुई जिसमें प्रमुख हैं भूली भटियारी की सराय, राष्ट्रपति भवन, राष्ट्रीय संग्रहालय, परम योद्धा स्थल, राष्ट्रीय समर स्मारक, इंडिया गेट, वेस्ट ऑफ वंडर, के कुछ मीटिंग्स में हिस्सा लेने के अतरिक्त लगभग दर्जन भर राज्यों के कई शहरों की घुमक्कड़ी में जीडीएस के सदस्यों ने मेरे एकल और अभिभावकों के संग यात्राओं को हर बार सुगम बनाया है।।
Ghumakkdi Dil Se |
घुमक्कड़ी दिल से बस घुमक्कड़ी नही सिखाती/कराती है, बल्कि यह जीना भी सिखाती है, अपने धरोहरों पर गौरव करना सिखाती है, अपने संस्कृतियों और विरासतों पर गर्व करना सिखाती है। अपने बुजुर्गो का सम्मान कराना सिखाती है।
पुनश्च हम सबको घुमक्कड़ी दिल से के स्थापना दिवस की ढेर सारी बधाई एवं शुभकामनाएं।