विश्व पुरुष दिवस पर जानिए भारत के 10 महान प्रेरक पुरुषों की सफलता की कहानियां

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विश्व पुरुष दिवस World Men's Day Indian Men's
विश्व पुरुष दिवस 
World Men's Day



1. स्वामी विवेकानंद


एक कुलीन एवं संस्कारित परिवार में जन्म लेने वाले बालक नरेंद्र अपने ज्ञान और अनुभव के बल पर राष्ट्रीय युवाओं के प्रेरणा स्रोत बन स्वामी विवेकानंद के नाम से प्रसिद्ध हुए। वो एक ऐसे महापुरूष थे जिनके उच्च विचारों, आध्यात्मिक यात्रा, अध्यात्मिक ज्ञान, बहु सांस्कृतिक अनुभव से हर कोई प्रभावित है। जीवन से ना सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी लोगों ने प्रेरणा ली. मात्र 39 वर्ष की अल्पायु में उनका देहांत हो गया, लेकिन इतने कम समय में ही उन्होंने अपने जीवन और सिद्धांतों से लोगों के सामने आदर्श प्रस्तुत किया है वो कार्य कोई कई जन्म लेकर भी नही कर सकता।

स्वामी जी युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं और उनके जन्मदिन को देशभर में "राष्ट्रीय युवा दिवस" के रूप में मनाया जाता है।

स्वामी विवेकानंद का जीवन हर किसी के जीवन में नई ऊर्जा भरता है और आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। स्वामी विवेकानंद प्रतिभाशील महापुरुष थे जिन्हें वेदों का पूर्ण ज्ञान था। कई भाषाओं और संस्कृतियों के ज्ञाता थे। विवेकानंद जी दूरदर्शी सोच के व्यक्ति थे जिन्होनें न सिर्फ भारत के सर्वांगीण विकास के लिए काम किया बल्‍कि लोगों को मानवीय जीवन को बेहतर तरीके से जीने की कला भी सिखाई।


2. नेताजी सुभाष चंद्र बोस

भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेतृत्वकर्ता में से एक थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए जापान के सहयोग से 'आजाद हिन्द फौज' का गठन किया था। नेताजी सुभाष चंद बोस द्वारा दिया गया 'जय हिंद' का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा है।


उनके के मन में राष्ट्रप्रेम, शिक्षा, साहस, स्वाभिमान और सबको साथ लेकर चलने की भावना विद्यार्थी जीवन से ही बड़ी प्रबल थी। राष्ट्र के स्वाधीनता की भावना को सर्वोपरि मानने वाले सुभाष बाबू ने अपने उच्चस्तरीय नेतृत्व क्षमता से सिद्ध भी कर चुके थे। उनके ओजस्वी उद्भोदन से तरुण, युवा, वृद्ध, महिलाएं जाति, धर्म और क्षेत्र की भावना से परे हटकर  सशस्त्र स्वधीनता संग्राम में उनके साथ कूद पड़ी थी।


नेताजी की नेतृत्व क्षमता शांति और युद्ध दोनो क्षेत्रों में बराबर की थी। भारत की आजादी के लिए वो किसी भी हद तक जा सकते थे। इसके लिए अपना संपन्न घर, अंग्रेज शासन में प्राप्त उच्च पद, कांग्रेस पार्टी के उच्च पद सबको त्याग कर कई देशों की कष्टकारी यात्रा, जीवन मृत्यु से संघर्ष करके 'आजाद हिंद फौज' को मजबूत बनाया था उन्होंने। उनके विचार सर्वव्यापी थे। विभिन्न भाषा संस्कृति और विभिन्न देश के सामान्य और विशिष्ट वर्ग दोनो के लिए वो विशेष थे। उन महान आत्मा की मृत्यु अभी तक रहस्य बनी हुई है।




3. महात्मा गांधी


2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर जिले में एक दीवान करमचंद गांधी और उनकी धर्मपारायण पत्नी पुतलीबाई के घर एक शिशु का जन्म हुआ।  जिसका नामकरण "मोहनदास"  किया गया।

अध्ययन में साधारण, गंदी हस्तलेखन और शारीरिक रूप से दुर्बल होते हुए भी जिजीविषा के धनी व्यक्ति थे। लंदन से उन्होंने वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद चाहते तो आरामदायक जीवन वहां बीता सकते थे। लेकिन ईश्वर ने उन्हें किसी महान कार्य हेतु चुना था। इसलिए उन्होंने लंदन में ना रहकर अफ्रीका में भारतीयों के लिए कानूनी लड़ाइयां लड़ी बाद में उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े।

जब भी देश के स्वतंत्रता आंदोलन की बात आती है तो देश की स्वतंत्रता में अभूतपूर्व योगदान देने वाले लाखों सेनानियों में उसी "मोहनदास करमचंद गांधी" को अग्रणी माना जाता है। देश की आजादी में उन्हें एक महानायक के तौर पर देखा जाता है।


गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु मानने वाले गांधी जी सदैव ही अस्पृश्यता व अन्य कुरीतियों के विरोध में थे। देश के आज़ादी के लिए उन्होंने बहुत सारे आन्दोलन किए। सत्य, सेवा, अहिंसा और ब्रह्मचर्य को अपना आदर्श मानने वाले  गांधीजी स्वाधीनता आंदोलन के एक प्रमुख स्तंभ थे। उन्हें भारतीय जन प्रेम से "बापू और महात्मा" भी कहते हैं, उनके महान कार्यों के देखते हुए उन्हें "राष्ट्रपिता" की संज्ञा दी जाती है।


उनके जयंती को "अहिंसा दिवस" और गांधी जयंती के तौर पर मनाया जाता है। भारतीय पुरुषों में उन्हें श्रेष्ठ श्रेणी में रखा जाता है।


4. श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी

5. एपीजे अब्दुल कलाम

6. धीरूभाई अंबानी

7. रतन टाटा

8. अडानी 

9. मेजर ध्यानचंद

10. महेंद्र सिंह धोनी 

11. सचिन तेंदुलकर


यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते निर्घषणच्छेदन तापताडनैः।

तथा चतुर्भिः पुरुषः परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा।।

हिंदी अर्थ:- जिस प्रकार सोने का परिक्षण घिसने, काटने, तापने और पीटने जैसे चार प्रकारों से होता है। ठीक उसी प्रकार पुरूष की परीक्षा त्याग, शील, गुण और कर्मों से होती है।



अश्वस्य भूषणं वेगो मत्तं स्याद् गजभूषणं।

चातुर्यम् भूषणं नार्या उद्योगो नरभूषणं।।


हिंदी अर्थ – घोड़े की शोभा उसके वेग से होती है और हाथी की शोभा उसकी मदमस्त चाल से होती है।नारियों की शोभा उनकी विभिन्न कार्यों में दक्षता के कारण और पुरुषों की उनकी उद्योगशीलता के कारण होती है।





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