नाग पंचमी : वर्ष में एक दिन खुलने वाला रहस्यमय मंदिर श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर उज्जैन

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श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर, महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश देश का एकमात्र ऐसा रहस्यमय मंदिर जो वर्ष में मात्र एक दिन के लिए श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु खुलता है।


नागचंद्रेश्वर मंदिर उज्जैन, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, जयसिंहपुरा, उज्जैन, मध्य प्रदेश
नागचंद्रेश्वर मंदिर, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग,
जयसिंहपुरा, उज्जैन, मध्य प्रदेश



सभी तीर्थयात्रियों, भक्तों और घुमक्कड़ों को नागपंचमी की दिल❤️से बधाई। आप सबको आश्चर्य लगता होगा की आज ही बधाई क्यों?...  जबकि नागपंचमी तो सावन माह के दूसरे पक्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। वस्तुतः बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में सावन के पहले पक्ष यानी कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को ही नाग पंचमी मनाया जाता है। हमारे गांव यानी बिहार राज्य के बेगूसराय जिले में अवस्थित हमारे गांव पचम्बा में और आसपास के क्षेत्र में नाग पंचमी सावन के पहले पक्ष कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को ही मनाया जाता है।


नाग पंचमी का उत्सव नागराज के साथ-साथ  नागेश्वर यानी की भगवान शिव को समर्पित है। इसके अतिरिक्त भारत के विभिन्न प्रांतों में विभिन्न देवियों(कुल देवी, वन देवी, ग्राम्य देवी इत्यादि) को भी समर्पित रहता है।


भारतीय धर्मग्रंथों में नागों और उनकी अन्य जातियों का विषद वर्णन है। धार्मिक मान्यता है कि नागपंचमी के दिन नाग देवता व नागेश्वर भगवान शिव की पूजा करने से सर्पदंश का भय नहीं रहता है। कालसर्प योग, ग्रहण योग, गुरु चांडाल योग आदि ग्रह दोष अगर कुंडली में पाए जाते हैं तो नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा- अर्चना करने से इन दोषों से मुक्ति पा सकते हैं। कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन भारत के विभिन्न तीर्थ स्थलों पर नाग देवता की पूजा एवं आराधना की जाती है।


देश में कई नाग और और उनके आराध्य भगवान नागेश्वर के मंदिर हैं। भगवान शिव के किसी भी मंदिर में नाग देवता की पूजा करना सामान्य बात है। आज बात कर रहे हैं एक भारत में एक अद्भुत, विलक्षण एवं विशेष नाग मंदिर  की जो वर्ष में मात्र एक दिन के लिए ही दर्शनार्थियों हेतु खुलता है, वो भी श्रवण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी की 'नाग-पंचमी' को। 


सृष्टि विख्यात उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के विषय में तो सभी जानते ही हैं। श्री नाग चंद्रेश्वर मंदिर कोई अलग मंदिर नही है, बल्कि यह श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के तीसरे मंजिल पर बना हुआ है। वर्तमान में जो श्रीमहाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग हैं वह तीन खंडों में विभाजित है। निचले खंड में श्री महाकालेश्वर, मध्य के खंड में श्री ओंकारेश्वर तथा ऊपरी खंड में श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। गर्भगृह में विराजित भगवान श्री महाकालेश्वर का विशाल दक्षिणमुखी शिवलिंग है, ज्योतिष में जिसका विशेष महत्व है। ठीक उसी प्रकार तृतीय खंड में स्थित श्री नाग चंद्रेश्वर मंदिर की भी अपनी विशेष ज्योतिष और धार्मिक महत्व है।


श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के तृतीय खंड पर स्थित श्री नाग चंद्रेश्वर मंदिर के नाम से विख्यात मंदिर वर्ष में सिर्फ एक दिन सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को यानी नाग पंचमी के दिन पूजा, अर्चना व दर्शन हेतु खुलने के कारण ज्यादातर भक्तों को इस बारे में ज्ञात नही रहता है।


नागचंद्रेश्वर मंदिर उज्जैन, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, जयसिंहपुरा, उज्जैन, मध्य प्रदेश
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, जयसिंहपुरा, उज्जैन, मध्य प्रदेश


नाग पंचमी को सर्पराज तक्षक महाराज का जन्मदिवस भी माना जाता है। धार्मिक मान्यता के आधार पर नागराज तक्षक जी ने भगवान शिव का घनघोर तप किया जिससे देवाधिदेव प्रसन्न होकर उन्हें इच्छमृत्यु या अमरत्व का वरदान दिए। अपनी अनन्य शिवभक्ति के कारण उन्होंने महाकाल वन में ही भगवान के समीप रहना ही सुहाया। मान्यता है की तक्षक महाराज अब भी वहां हैं। उनकी शांति में विघ्न न हो इसलिए नागचंद्रेश्वर मंदिर वर्ष में मात्र एक दिन 24 घंटे हेतु खोला जाता है। दर्शनार्थियों की भारी भीड़ उमड़ती है। जिसके दर्शनमात्र से समस्त सर्पबाधा से शांति मिल जाने की मान्यता है।


नागचंद्रेश्वर मंदिर के अंदर की मूर्ति प्राचीन, विलक्षण, अदभुत और अद्वितीय है। एक दसमुखी नाग सिंहासन(सर्प सिंहासन) है, जिसपर भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर माता पार्वती के साथ विराजमान हैं। मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में देवाधिदेव शिवजी, माता पार्वती एवं गणेशजी विराजित हैं। मूर्ति में भगवान के गले और भुजाओं में सर्प आभूषण शोभा पा रहे हैं।


नागचंद्रेश्वर मंदिर उज्जैन, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, जयसिंहपुरा, उज्जैन, मध्य प्रदेश
नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश


नाग पंचमी 2023 कब है?

प्रत्येक वर्ष श्रावण मास, शुक्ल पक्ष पंचमी को नागपंचमी मनाया जाता है। इस वर्ष 21 जुलाई 2022 को नाग पंचमी है।


श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर कहां अवस्थित है?

श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, उज्जैन मध्य प्रदेश के तृतीय खंड पर श्री नाग चंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। 


नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन क्यों प्रसिद्ध है?

वर्ष में सिर्फ एक दिन सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी नाग पंचमी के दिन पूजा, अर्चना व दर्शन हेतु खुलने के कारण प्रसिद्ध है।


नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन किस देवता को समर्पित है?

नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन में भगवान श्री नागेश्वर यानी की देवाधिदेव शिवजी, माता पार्वती एवं गणेशजी विराजित हैं। मूर्ति में भगवान के गले और भुजाओं में सर्प आभूषण शोभा पा रहे हैं। सर्पराज तक्षक महाराज अभी भी मंदिर में है ऐसी मान्यता है।


नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन के दर्शन से क्या लाभ है?

नागपंचमी के दिन नाग देवता व नागेश्वर भगवान शिव की पूजा करने से सर्पदंश का भय नहीं रहता है। कालसर्प योग, ग्रहण योग, गुरु चांडाल योग आदि ग्रह दोषों से मुक्ति पा सकते हैं।


महाकालेश्वर मंदिर एक विशाल परिसर में स्थित है, जहाँ कई देवी-देवताओं के छोटे-बड़े मंदिर हैं। मंदिर में प्रवेश करने के लिए मुख्य द्वार से गर्भगृह तक की दूरी तय करनी पड़ती है। इस मार्ग में कई सारे पक्के चढ़ाव उतार हैं, मार्ग चौड़ा होने से यात्रियों एवं दर्शनार्थियों को दिक्कतें नहीं होती है। मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने के लिए पक्की सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। महाकाल मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुंड भी है।  साथ ही गर्भगृह में माता पार्वती, भगवान गणेश व कार्तिकेय की मोहक प्रतिमाएँ हैं। गर्भगृह में नंदी दीप स्थापित है, जो सदैव प्रज्ज्वलित होता रहता है। गर्भगृह के सामने विशाल कक्ष में नंदी की प्रतिमा विराजित है। इस कक्ष में बैठकर हजारों श्रद्धालु शिव आराधना का पुण्य लाभ लेते हैं।

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2टिप्पणियाँ
  1. उम्दा आर्टिकल, भारत मे एक और रहस्यमय और सनातन संस्कृति को प्रदर्शित करती मंदिर का उल्लेख और नागपंचमी से संबंधित सही जानकारी का उल्लेख

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  2. बहुत ही ज्ञानवर्धक सूचना युक्त आलेख,उज्जैन में स्थित यह नागचंद्रेश्वर मंदिर हमारे सनातन धर्म की महानता का एक ओर दर्शन है।
    ऐसे ज्ञानवर्धक आलेखों से भारतीय संस्कृति व सनातन की महानता का दर्शन कराने के लिए आदरणीय को अनेकों-अनेक साधुवाद!🙏🌹🙏

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