बेगूसराय से पटना एकदिवसीय यात्रा ब्लॉग भाग -1

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आज यानी 1/जून 2022, बुधवार की प्रभात बेला में नींद खुली, दिल और दिमाग यानी हृदय और मस्तिष्क एकदम तरोताजा लग रहे थे। और हो भी क्यों ना इस भीषण गर्मी में लाइट की आंख मिचौली खेलने के बावजूद  एक शानदार 6 घंटे की मृत्यु जैसी नींद लेकर उठा था।

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Patna Junction का भव्य मुख्य द्वार और हमारा प्यारा ध्वज


गरम पानी पी ही रहा था की व्हाट्सएप पर एक text नोटिफिकेश फ्लैश हुआ। उसी नंबर पर नोटिफिकेशन संख्या 3 हो चुकी थी। जिज्ञासा हो या ना हो हाथ में मोबाइल हो तो अंगूठा अपने आप ही मोबाइल स्क्रीन पर चलने लगते हैं।

क्लिक करते ही भैया का ऑर्डर था "पटना चलना है, मैं नहाने जा रहा हूं, तुम भी तैयार हो जाओ"।


अब  आज्ञा का पालन करना तो हर छोटे भाई का धर्म ही होता है। इस भीषण गर्मी के दौर में भी किंतु- परंतु जैसे प्रश्नों से बचते हुए अपने प्रभु श्रीराम जी के अनन्य भक्त श्री हनुमान जी की कृपा मानते हुए उनके दर्शन के लोभ और तिरुपति के प्रसिद्ध कारीगरों द्वारा निर्मित संसार में सबसे प्रिय लगने वाली प्रसाद लड्डू का लोभ वश सुबह के 6 बजे तक मैं भी तैयार हो चुका था।


पहले ई- रिक्शा(बैट्री वाला तिपहिया वाहन) से 15 रुपए प्रति सवारी से बेगूसराय रेलवे स्टेशन के पश्चिमी सीमा पर पहुंच चुका था। बेगूसराय(BGS) से पटना(PNBE) सर्च करने पर सबसे पहले वाली ट्रेन थी पूर्णिया - हटिया एक्सप्रेस 18625 जो कोशी एक्सप्रेस के नाम से हमारे इधर काफी चर्चित रहती है। बिहार के शोक के नाम से विख्यात कोशी नदी में जितना प्रचुर मात्रा में पानी है लगभग उतनी ही भीड़ इस कोशी एक्सप्रेस ट्रेन में भी रहती है। 

 

टिकटों का आरक्षण ऑनलाइन माध्यम से पहले ही हो चुका था। एक मोबाइल एप पर "ट्रेन रनिंग स्टेटस" में ट्रेन अपने नियत से मात्र 1 मिनट विलंब शो  कर रही थी,  लेकिन ट्रेन बेगूसराय रेलवे स्टेशन पर अपने निर्धारित समय 6:47 पर ही आई। एक मामूली भीड़ के साथ हम भी ट्रेन में प्रवेश कर चुके थे, ट्रेन अपने निर्धारित समय 2 मिनट का विश्राम लेकर 6:49 में बेगूसराय स्टेशन से अपने अगले गंतव्य की ओर ध्येयनिष्ठ हो चुकी थी।



क्रमशः


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