TripBro- पावापुरी ,बिहार - त्याग अहिंसा और ज्ञान की तपोभूमि |
वर्ष 2018 में महापर्व दीपावली, छठ एवं अपना जन्मोत्सव मनाने के लिए अपने गांव गया हुआ था। दीपावली की तिथि 7 नवंबर थी और मेरा वर्षगांठ 8 नवम्बर को होता है। 6 नवंबर को मन में अचानक से अहिंसा और त्याग की तपोभूमि पावापुरी देखने का विचार मन में आया। दीपावली को विश्वबंधुत्व और समानता का आलोक फैलाने वाले भगवान महावीर स्वामी (Mahaveer Swami) , 72 वर्ष की आयु में पावापुरी (बिहार) में कार्तिक कृष्णा 14 (दीपावली की पूर्व संध्या) को निर्वाण को प्राप्त हुए। विचार कुछ लोगों के साथ साझा किए तो सर्वसम्मति से मेरे विचार पर मुहर लग गयी। चलिए पावापुरी और दीपावली भी वहां के देखेंगे पावापुरी की दीवाली की आभा देवलोक की दीवाली को भी नतमस्तक कर देती है।
यद्यपि संध्या बेला तक घर वापसी और दिवाली परिजनों के साथ मनाने का ही निश्चय करके घर से अनुमति लेकर रात में सो गए। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक क्रिया के उपरांत यात्रा की तैयारी प्रारंभ हो चुकी थी। एक भतीजा अपनी स्विफ्ट गाड़ी लेकर तैयार था। मैं एक भाई और मेरा हीरो भतीजा कुल 3 यात्री अपनी यात्रा राह पर निकल पड़े थे।
मेरे गाँव से पावापुरी मंदिर (Pawapuri ) क्षेत्र की दूरी (गूगल मैप के अनुसार) कुल 99 किलोमीटर है। राष्ट्रीय राजमार्ग 31 होते हुए पव फटने से पहले सिमरिया गंगा क्षेत्र में स्नान, ध्यान करके प्रसिद्ध रेल सह सड़क सेतु राजेन्द्र सेतु होते हुए मोकामा के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग 33 पर पहुँच चुके थे। प्रभात खिल रही थी, ओस से तृप्त धवल-हरियाली दिक़दर्शित हो रही थी। और हमारी तैलवाहन (मारुति स्विफ्ट) अपने प्रवीण संचालक के द्वारा द्रुतगति से ध्येय प्रविष्ट थी।
बरबीघा होते नालंदा जिले में हमलोग प्रविष्ट हो चुके थे, सुदूर स्थित राजगृह के उत्तंग विपुलाचल पर्वत पर सूर्यनारायण अब अपनी आभा बिखेरने में लगे थे, प्रभात की धवल आभा अब ताम्र और सुनहरी होने लगी थी।विपुलाचल वही स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध ने प्रथम उपदेश स्थानीय जनसमुदाय में दिए थे। राजगीर के निकट जाने का उद्देश्य वहां के प्रसिद्ध विद्या मंदिर विद्यालय में कार्यरत एक शिक्षक मित्र से मिलना और उन्हें साथ लेकर चलना भी था। उन्हें साथ लेकर पावापुरी की ओर निकल पड़े।
हरित खेतो में किसान, सडकों पर ग्वाले, मजदूर अपने दैनिक कार्य में व्यस्त थे। सायकिल, ई रिक्शा बाइक इत्यादि दर्शित होने लगे थे और वाहन में लगे दिशादर्शक यंत्र से गंतव्य तक पहुचने की सूचना प्राप्त हुई।
सारथी ने कहा माधव चा देखिये! बाहर पहुँच गेलिये।। हमलोग बिहार सरकार द्वारा निर्मित सर्पीले सड़क मार्ग के अंत में एक महाद्वार के निकट थे और हमारे सन्मुख स्थित था पावापुरी का पवित्र जल-मंदिर।
ध्यान, आराधना, वंदना और भगवान महावीर स्वामी को कृतज्ञता अर्पित करने के पश्चात जलाशय में मछलियों के लिए आटे की बनी गोली खरीद कर खिलाया, आटे की बनी गोली खिलाते हुए मछलियों के जल क्रिड़ाओं आनंद लिया गया। इस सबके पश्चात दिखाई दे रहे एक दूसरे मंदिर की ओर बढ़ गए। संस्मरण ज्यादा लंबा ना करते हुए अन्य मंदिरों के बारे में संछिप्त में वर्णन करता हूं।
यद्यपि संध्या बेला तक घर वापसी और दिवाली परिजनों के साथ मनाने का ही निश्चय करके घर से अनुमति लेकर रात में सो गए। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक क्रिया के उपरांत यात्रा की तैयारी प्रारंभ हो चुकी थी। एक भतीजा अपनी स्विफ्ट गाड़ी लेकर तैयार था। मैं एक भाई और मेरा हीरो भतीजा कुल 3 यात्री अपनी यात्रा राह पर निकल पड़े थे।
मेरे गाँव से पावापुरी मंदिर (Pawapuri ) क्षेत्र की दूरी (गूगल मैप के अनुसार) कुल 99 किलोमीटर है। राष्ट्रीय राजमार्ग 31 होते हुए पव फटने से पहले सिमरिया गंगा क्षेत्र में स्नान, ध्यान करके प्रसिद्ध रेल सह सड़क सेतु राजेन्द्र सेतु होते हुए मोकामा के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग 33 पर पहुँच चुके थे। प्रभात खिल रही थी, ओस से तृप्त धवल-हरियाली दिक़दर्शित हो रही थी। और हमारी तैलवाहन (मारुति स्विफ्ट) अपने प्रवीण संचालक के द्वारा द्रुतगति से ध्येय प्रविष्ट थी।
बरबीघा होते नालंदा जिले में हमलोग प्रविष्ट हो चुके थे, सुदूर स्थित राजगृह के उत्तंग विपुलाचल पर्वत पर सूर्यनारायण अब अपनी आभा बिखेरने में लगे थे, प्रभात की धवल आभा अब ताम्र और सुनहरी होने लगी थी।विपुलाचल वही स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध ने प्रथम उपदेश स्थानीय जनसमुदाय में दिए थे। राजगीर के निकट जाने का उद्देश्य वहां के प्रसिद्ध विद्या मंदिर विद्यालय में कार्यरत एक शिक्षक मित्र से मिलना और उन्हें साथ लेकर चलना भी था। उन्हें साथ लेकर पावापुरी की ओर निकल पड़े।
हरित खेतो में किसान, सडकों पर ग्वाले, मजदूर अपने दैनिक कार्य में व्यस्त थे। सायकिल, ई रिक्शा बाइक इत्यादि दर्शित होने लगे थे और वाहन में लगे दिशादर्शक यंत्र से गंतव्य तक पहुचने की सूचना प्राप्त हुई।
सारथी ने कहा माधव चा देखिये! बाहर पहुँच गेलिये।। हमलोग बिहार सरकार द्वारा निर्मित सर्पीले सड़क मार्ग के अंत में एक महाद्वार के निकट थे और हमारे सन्मुख स्थित था पावापुरी का पवित्र जल-मंदिर।
जल मंदिर, पावापुरी, बिहार : Jal Mandir, Pawapuri, Bihar
जल मंदिर (पावापुरी बिहार) - पावापुरी जल मंदिर का पुरा नाम- Mahavirswami Jain water temple (महावीरस्वामी मोक्ष कल्याणक जैन जल मंदिर) है।
पावापुरी बिहार का जल मंदिर 84 बीघे में स्थित है। नजदीक पहुंचते ही वृहताकार तालाब/पोखड़ के मध्य में निर्मित धवल मंदिर दिख रहा था। मंदिर तक पहुचने के लिए पर्याप्त चौड़ाई के साथ बना व विशेष रक्तिम प्रस्तरों से सजा हुआ एक सेतु है। इसके दोनो कोणों पर लगे विभिन प्रजातियों के पौधे और 84 बीघे के क्षेत्र में पोखड़ था और वो कमल पुष्प से व्याप्त था। पावापुरी का जल मंदिर देखते ही अमृतसर का स्वर्ण मंदिर का याद आना स्वाभाविक है। अमृतसर पंजाब में अवस्थित स्वर्ण मंदिर का तालाब यद्यपि इस जल मंदिर की तुलना में छोटा है, स्वर्ण मंदिर शहर के संकुचित व्यस्त आवासों व निर्माणों के मध्य है, वही यह जलमंदिर खेतो और गांवो के मध्य कबूतरों के कोलाहल से दूर है। स्वर्ण मंदिर का तालाब कई प्रजाति के मछलियों से व्याप्त है, इसमे मछलियों के साथ कुछ जलसर्प और कमल से भरपूर है। स्वर्ण-मंदिर और जल- मंदिर अपने पंथों के साथ-साथ संसार के समस्त जनसमुदाय के लिए विशेष है। जल मंदिर पावापुरी का मुख्य मंदिर हैं और जैन धर्म के साथ -साथ संसार के पवित्रतम स्थलों में से एक है। इसी स्थल पर भगवान महावीर का दाह संस्कार किया गया था।ध्यान, आराधना, वंदना और भगवान महावीर स्वामी को कृतज्ञता अर्पित करने के पश्चात जलाशय में मछलियों के लिए आटे की बनी गोली खरीद कर खिलाया, आटे की बनी गोली खिलाते हुए मछलियों के जल क्रिड़ाओं आनंद लिया गया। इस सबके पश्चात दिखाई दे रहे एक दूसरे मंदिर की ओर बढ़ गए। संस्मरण ज्यादा लंबा ना करते हुए अन्य मंदिरों के बारे में संछिप्त में वर्णन करता हूं।
महावीर जयंती के शुभ अवसर पर, आप सभी को बिहार पर्यटन की तरफ से हार्दिक शुभकामनाएँ ।
🙏#mahavirjayanti #Jalmandir #Pavapuri #Nalanda #Bihar #BiharTourism #BlissfulBihar #pilgrim #religioustravel #heritagesitesofindia #Jainism #LordMahavir pic.twitter.com/4aFz6mR1py
— Bihar Tourism (@TourismBiharGov) April 25, 2021
महावीर जयंती के शुभ अवसर पर, आप सभी को बिहार पर्यटन की तरफ से हार्दिक शुभकामनाएँ ।
पावापुरी बिहार के पर्यटन स्थल
- श्वेताम्बर जैन मंदिर, पावापुरी बिहार
श्वेताम्बर जैन मंदिर जिस स्थान पर है, ठीक उसी स्थान पर भगवान महावीर स्वामी की मृत्यु हुई थी, श्वेताम्बर जैन मंदिर, पावापुरी, बिहार महावीर स्वामी के परिनिर्वाण स्थल से जुड़ी हुई है एवं उनके पवित्र पार्थिव देह को संस्कार के लिए जल मंदिर वाले स्थान को चुना गया था।
हालांकि विद्वान इतिहासकार और घुमक्कड़ राहुल सांकृत्यायन जी, अंग्रेज विद्वान कनिघम के साथ कुछ इतिहासकार इनके महापरिनिर्वाण के स्थान के बारे में गोरखपुर के पप्पोर नामक गाँव बताते हैं। लेकिन अन्यान्य विद्वानों/इतिहासकारकों के साथ विशेष श्रद्धा पावापुरी से जुड़ी है। नालंदा के इस पवित्र गांव पावापुरी से जुड़ी है। और अब समस्त जैन धर्मावलंबी, पुरातत्वविद, इतिहासकार इसे ही सटीक घोषित कर निर्धारित कर चुके हैं। और समस्त संसार से निरंतर पुण्यार्थी, दर्शनार्थी व देशाटन करने वालों के लिए पवित्रतम तीर्थ में से एक घोषित हो चुका है।
पावापुरी : त्याग, अहिंसा और ज्ञान की तपोभूमि
2. समोसरन मंदिर Samosaran Mandir, पावापुरी बिहार
इस स्थान पर ही महावीर स्वामी जी ने बोध प्राप्ति उपरांत प्रथम उपदेश प्रदान किये थे और निर्वाण पूर्व अंतिम उपदेश भी यहीं हुआ था। वहां स्थित इस मंदिर में जल्दी से जाकर दर्शन किये क्योंकि घर से बुलावा का काॅल आने लगा था। इसके पश्चात हमलोग जैन धर्मबलम्बियों के विभिन्न संतो वाले मंदिर दादाबाड़ी मंदिर जो आजकल दादा गुरुदेव मंदिर के नाम से विख्यात है। वहां के विभिन्न संतो की मूर्तियों को प्रणाम कर दिगंबर जैन मंदिर (Digambar Jain Mandir) पहुँचे। दिगंबर जैन मंदिर के स्थान पर ही महावीर स्वामी ध्यानमग्न रहा करते थे।TripBro - जलमंदिर पावापुरी, बिहार |
3. दिगंबर जैन मंदिर Digambar Jain Mandir पावापुरी बिहार
दीपावली उत्सव यहां बड़ा ही अद्भुत और सम्मोहक होता है। क्योंकि विश्वबंधुत्व, अहिंसा, त्याग मानवता का आलोक फैलाने वाले महावीर स्वामी, 72 वर्ष की आयु में पावापुरी (बिहार) में कार्तिक कृष्णा 14 (दीपावली की पूर्व संध्या) को महापरिनिर्वाण को प्राप्त हुए थे। तथापि उत्सव देखे बिना ही हमलोगों ने सत्य व अहिंसा की तपोभूमि को पुनः प्रणाम करते हुए विदा हुए।
वापसी बड़ी दुष्कर थी मंदिर के निर्वाण उत्सव और त्योहार की भीड़ पावापुरी से निकलते समय भी रही और बेगुसराय के प्रवेश द्वार राजेन्द्र सेतु, सिमरिया और बीहट में भी रही फिर भी संध्या समाप्ति और दीपमालिका सजने से पूर्व तक हमलोग अपने घर पहुँच चुके थे।
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महावीर स्वामी के माता-पिता का नाम
भगवान महावीर स्वामी का जन्म ईसा से 599 वर्ष पूर्व वैशाली गणतंत्र के कुण्डग्राम में इक्ष्वाकु वंश के महाराजा सिद्धार्थ की पत्नी महारानी प्रियकारिणी (माता त्रिशला) के गर्भ से चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को हुआ था। वहीं दोनों इनके माता पिता हैं।
भगवान महावीर के मुख्य उपदेश क्या हैं?
भगवान महावीर स्वामी ने आध्यात्मिक मुक्ति के लिए अहिंसा को उच्चतम नैतिक गुण एवं सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य (शुद्धता) और अपरिग्रह (गैर-लगाव) के व्रतों का पालन आवश्यक बतलाया। त्याग, संयम, प्रेम, करुणा, शील, अहिंसा एवं सदाचार उनके उपदेशों का सार था। उनके समस्त उपदेश अर्ध मगधी व प्राकृत भाषा में थे।
महावीर स्वामी का परिनिर्वाण स्थल कहाँ है?
बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित पावापुरी ग्राम में भगवान महावीर स्वामी का महापरिनिर्वाण स्थल है। जहां उनका अंतिम संस्कार हुआ वहां पवित्र जलमंदिर है।
पावापुरी किस राज्य में है?
बिहार के विश्व प्रसिद्ध पुरातन स्थल नालंदा जिले में ही पावापुरी स्थित है। जो जैन धर्मावलंबियो के लिये एक अत्यंत पवित्र तीर्थ है। राजधानी पटना से लगभग 100 किमी दूर पावापुरी स्थित है।
पावापुरी क्यों प्रसिद्ध है?
नालंदा जिले में स्थित पावापुरी जैन धर्मावलंबियो के लिये एक अत्यंत पवित्र तीर्थ है। अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी को पावापुरी में ही ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। उनके द्वारा जैन संघ की स्थापना भी पावापुरी में ही की गई थी।
पावापुरी से निकटतम पर्यटन स्थल
पावापुरी बिहार के नालंदा जिले में अवस्थित है।
पावापुरी के नजदीकी पर्यटन स्थल हैं विश्व विरासत स्थल नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर, राजगीर, एकदम नजदीक है, वहीं पटन देवी, हनुमान मंदिर, गोलघर, चिड़ियाघर, तख्त श्री हरिमंदिर जी, पटना साहिब, पटना,बिहार। महाबोधी मंदिर, बोधगया,बिहार। विश्व शांति स्तूप, वैशाली,बिहार। कांवर झील, नौलखा मंदिर, बेगूसराय,बिहार। मंदार पर्वत, विक्रमशिला के अवशेष, सुल्तानगंज, डॉल्फिन केंद्र, और श्री चम्पापुर दिगंबर जैन मंदिर, भागलपुर, बिहार। मुंगेर किला, डॉल्फिन ईकोपार्क, मुंगेर, बिहार इत्यादि पावापुरी के निकट स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक स्थलों पर आसानी से जा सकते हैं।
पावापुरी कैसे पहुंचे?
वायुयान द्वारा
पावापुरी का निकटतम हवाई अड्डा पटना 101 किमी पर है। इसके अतिरिक्त गयाजी और दरभंगा एयरपोर्ट भी फ्लाइट सर्विस शुरू हो चुकी है। विभिन्न एयरलाइंस पटना को कलकत्ता, मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलूर, पुणे, रांची,लखनऊ इत्यादि से जोड़ती हैं।
ट्रेन द्वारा
पावापुरी नालंदा जिले में अवस्थित है। हालांकि राजगीर के पास एक रेलवे स्टेशन है, लेकिन निकटतम सुविधाजनक रेलवे स्टेशन पटना 90 किमी और बख्तियारपुर में है।
सड़क मार्ग द्वारा
पावापुरी बिहार के लगभग सभी शहरों से जुड़ा हुआ है, नालंदा, पटना, राजगीर, गया या बिहार के किसी भी शहर से बाइक, टैक्सी या बस से पावापुरी घुमने जाया जा सकता है।
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सच्चमुच बहुत मेहनत से जानकारी जुटाई है आपने । 💖 से धन्यवाद
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंGhar baithe pava puri ka bhraman aur mahavir ji ke bare me rochak jankari dene ke liye aapka aabhar.
जवाब देंहटाएंअदभुत स्थल, शानदार वर्णन, अतिसुंदर।
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