रहस्मय निधिवन, वृन्दावन मथुरा की यात्रा Mysterious Visit at Nidhiwan, Vrindavan, Mathura

0

रहस्यमय निधिवन, वृन्दावन मथुरा की यात्रा Mysterious Visit at Nidhivan, Vrindavan, Mathura



वृन्दावन के धार्मिक नगरी में स्थित निधिवन एकदम अद्भुत है और प्रतिष्ठित धार्मिक स्थल है। इसे अत्यंत पवित्र और रहस्यमय धार्मिक स्थल माना जाता है। कई किस्से कहानी, वीडियो, ब्लॉग्स एवं ग्रंथ इत्यादि में निधिवन के बारे में पढ़ा और देखा था। जब श्री वृन्दावन धाम दर्शन का संयोग बना तो बांके बिहारी जी के दर्शन पश्चात निधिवन का भ्रमण और दर्शन का मौका मिला तो देखकर वास्तव में मैं आश्चर्य चकित रह गया। निधिवन के सारे पेड़ रहस्यमयी लगे। अन्य पेड़ वस्तुत ऊपर की ओर बढ़ते है। लेकिन, निधिवन के सारे पेड़ ऐसा लगता जैसे एक निश्चित लंबाई के बाद झुकते ही जा रहे हो, 4 फिट के बाद जैसे फिर से नीचे की ओर धरती में समा जाना चाहते हों। ऐसा प्रतीत होता जैसे किसी के दिव्य चरणों मे अपना सर्वस्व न्योछावर करने चाहते हों।


विश्वास किया जाता है कि निधिवन में भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा  और अन्य गोपियां आज भी रात्रि के बाद श्री कृष्ण के साथ महा-रास करते हैं। एक स्थानीय व्यक्ति ने खुद आगे बढ़कर मात्र 100 रुपए में गाइड सेवा देने की बात की जिसे ना चाहते हुए भी आखिर स्वीकार कर लिया उसने निधिवन के बारे में कई बाते बताई कुछ पौराणिक कथाओं से जुड़े थे जो सब कथाओं और  टीवी सीरियल में देखकर अनेक श्रीकृष्ण भक्त जानते ही हैं। (कुछ बाते बस दान करने को प्रेरित करने वाले थे जो मुझे मात्र गप्प ही लगी और "गाइड स्कैम" वाली ही लगी थी। जिसमे आपकी भक्ति को आधार बनाकर भावनात्मक रूप से चढ़ावे चढ़ाने के लिए बोला जाता है, ऐसे ' गाइड स्केमर' से बचकर रहें, क्योंकि कुछ जगह जबरदस्ती भी की जा सकती है।)  


निधिवन की एक खास बात है। भगवान श्री कृष्ण एवं गोपी माताएं की रासलीलाओं की चर्चा होती है। रास लीला के बाद भगवान श्री कृष्ण, माता राधा और अन्य गोपियां रंग महल में विश्राम अथवा शयन करते हैं। इसलिए निधिवन में स्थित रंगमहल मंदिर को सजा-धजा कर तैयार किया जाता है। प्रतिदिन श्रृंगार आरती के बाद दातुन, स्वच्छ जल, पान, मिठाई, पुष्प, मक्खन, मिश्री, दही, दूध, अन्य प्रसाद एवं श्रृंगार रख दिया जाता है। भगवान के शयन के लिए निधिवन के रंगमहल के विश्राम कक्ष को सजाया जाता है। 


अगले दिन प्रभात में निधिवन का द्वारा खोला जाता है। सुबह 5:30 बजे रंग महल का पट खुलने पर भगवान केलिए रखी दातून गीली मिलती है और सामान बिखरा हुआ होता है, साफ प्रतीत होता है महारास के बाद उन प्रसादों, पुष्पों, जल, मिठाई, पान का उपयोग किया गया हो। निधिवन में भगवान के शयन के लिए पलंग सजाया जाता है और सुबह को बिस्तरों की स्थिति से प्रतीत होता है कि रात्रि किसी यात्री द्वारा यहां विश्राम किया गया है और प्रसाद आदि ग्रहण किया गया है।


मान्यता है की संध्या बेला होते ही निधिवन में दिखाई देने वाले सभी श्रद्धालु अथवा पांडे पुजारी ही नही यहां तक की समस्त जीव-जंतु, पशु-पक्षी(तितली बंदर, तोते, कौवे इत्यादि भी) निधिवन की सीमा से बाहर चले जाते हैं और परिसर के मुख्य द्वार को बंद करके उसपर  ताला लगा दिया जाता है। स्थानीय पुजारी जी और गाइड के अनुसार, कोई प्रमाण देखने के लिए या जिज्ञासावश छिपकर निधिवन में महारास देखने हेतु रुकने वाले व्यक्ति सांसारिक बंधन से मुक्त हो जाते हैं, या तो उसे वैराग्य हो जाता है या जीवन और किसी से बात करने की स्थिति में नही रहता। कहा जाता है वह व्यक्ति पागल हो वृंदावन की गलियों मेंं भटकता है या भगवान को देखकर उसे मृत्युलोक से मुक्ति(मृत्यु) मिल जाती है। हमारे गाइड ने बताया कि और जो मुक्त हो गए हैं, उनकी समाधियां निधिवन परिसर में ही स्थित हैं।



निधिवन परिसर में संगीत सम्राट और धुपद के पितामह माने जाने वाले स्वामी श्री हरिदास जी की समाधि स्थली निधिवन परिसर में ही है, इसके अतिरिक्त  रंग महल, बांके बिहारी जी का प्राकट्य स्थल, और राधारानी, बंशी चोर जैसे पवित्र दर्शनीय स्थल भी निधिवन के एकदम निकट ही है।




एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)