Kamkhya Temple Guwahati: गुवाहाटी और कामख्या मंदिर दर्शन: एक दिन में प्रमुख देवालयों का पूरा मार्गदर्शन

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कई मित्रगण कामख्या मंदिर दर्शन हेतु जाना चाहते है। चुंकी पिछले दो वर्षों में दो बार जा चुका हूं और कई घुमक्कड़ साथियों को गुवाहाटी दर्शन करने में सहायता कर चुका हूं। और एक ही बात कई बार अलग अलग साथियों को  बताना पड़ता है। अतएव यह पोस्ट उन घुमक्कड़ तीर्थयात्रियों के लिए हैं जिन्हें कामख्या दर्शन के पश्चात एक दिन में कितने अन्य देवालयों के दर्शन कर सकते हैं।


Kamkhya Temple Guwahati: गुवाहाटी और कामख्या मंदिर दर्शन: एक दिन में प्रमुख देवालयों का पूरा मार्गदर्शन


मैं प्रायः एकला चलो रे या अपने बुजुर्गों के साथ में तीर्थयात्रा करता हूं। तो उनके शारीरिक क्षमता के अनुसार ही मेरा सफर होता है। मेरा यह पोस्ट 5 से 6 लोगो के साथ ही हुआ है। मैं नीलांचल पर्वत पर स्थित माता कामख्या मंदिर के पास टैक्सी स्टैंड के पास वाले होटल या पांडा जी के यहां अपना बेस बनाता हूं। और आसपास घूमता हूं। टैक्सी स्टैंड से बार्गेनिंग करके बजट में कमरे मिल जाते हैं और टेक्सी का किराया भी अन्य तीर्थयात्रियों की अपेक्षा कम में तय हो जाता है। नीलांचल पर्वत पर नई राष्ट्रवादी सरकार द्वारा मांसाहार बेचने पर पर पूर्ण प्रतिबंध है। और साफ सफाई एकदम निर्मल है। यानी स्वर्ग सा सुंदर है नीलांचल।


माता कामख्या के दर्शन पश्चात आप नीलांचल पर्वत पर जैसे अपने घर की गलिया चौराहे दुकानों पर घूमते हैं उसी प्रकार घूमते हुए कई देवालयों के दर्शन कर सकते हैं। जिसमें प्रमुख है.. नीलांचल पर्वत पर कामख्या देवालय ➡️ माता बगुलामुखी मंदिर (100 कदम की दूरी पर) त्रिपुर सुंदर मंदिर ➡️ गुवाहाटी view point➡️ मठ, तलहटी में सीढियां उतरने पर गणेश मंदिर और कोटि शिवलिंग तीर्थ भी है।


गुवाहाटी दर्शन हेतु

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🔹1.उग्रतारा मंदिर - 

यहां माता सती का नाभि गिरा था। यह उजान बाजार में हैं। इसके पीछे एक पोखर है। यहां मंदिर भी तंत्र साधना का केंद्र हैं।

🔹2. उमानंद मंदिर - 

यह ब्रह्मपुत्र(देवलोई) नदी के मध्य उमानंद द्वीप पर है। यही पर भगवान श्री हरि ने माता सती शव अपने सुदर्शन से टुकड़े किए थे। उनके शव को हाथ में लेकर विलाप करते देवाधिदेव के मोह एवं क्रोध का शमन किया था। यहां नाव के फेरी के माध्यम से जया जाता है।


🔹3.नवग्रह मंदिर - 

 चित्रा पर्वत पर अहोम राजा राजेश्वर जी द्वारा पूर्णिर्मित इस मंदिर में लोग अपने ग्रहों की शांति करवाते हैं। यह एक प्राचीन नवग्रह मंदिर है सूर्य मुख्य देवता है और बंकी ग्रहों की मूर्तिया भी है। यहां मंदिर के मुख्य द्वार तक गाड़ी जाती है।


🔹4. वशिष्ठ आश्रम शिव मंदिर - 

आश्रम और झड़ने के कारण अध्यात्मिक, प्राकृतिक तीर्थ है। यह असम की मुख्य नगरी दिसपुर में है और मेघालय राज्य की सीमा पर स्थित है। एकदम आसानी से जाया जाता है। सड़क के एक ओर असम है और दूसरी ओर मेघालय। कल कल करते झड़ने, वृक्ष और मंदिर के कारण बड़ा ही मनोरम दृश्य है। अवश्य जाएं।


🔹5 नागेश्वर महादेव स्थल - 

डाकिनी वन क्षेत्र में एकदम मनोरम वन क्षेत्र में स्थित इस मंदिर विहीन शिवलिंग और स्थान बेहद मनोहारी है। मनोरम जंगलों में पैदल चलते हुए जाना पड़ता है। असम सरकार इसे असम का ज्योतिर्लिंग कहती है। 


🔹6 गणेश मंदिर -

 यह नागेश्वर महादेव के पास जाने वाले रास्ते में ही है। यहीं पर गाड़ियां पार्क होती है।


🔹7 तिरुपति बालाजी मंदिर -

 गुवाहाटी के मुख्य आकर्षण में यह विशाल और भव्य मंदिर अपना स्थान बना चुका है। तिरुपति बालाजी न्यास द्वारा निर्मित इस भव्य मंदिर में कैमरा अलाउड नहीं है। शानदार जन सुविधा, पार्किंग, रेस्टोरेंट और आराम दायक घास एवं वृक्ष इत्यादि से अक्छादित देवालय हैं, अवश्य जाएं।


🔹8. हयग्रीव माधव मंदिर -

 गुवाहाटी शहर से पश्चिम की ओर लगभग 30 किमी दूरी पर हाज़ो स्थान के समीप "मणिकूट पर्वतसी पर स्थित भगवान विष्णु को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। इतिहासकारकों के अनुसार हयग्रीव माधव आदिवासियों वनवासियों के देवता हैं। पालकाल में 10 वीं शताब्दी में निर्मित हुआ है। वर्तमान मंदिर राजा रघुवीर सिंह जी ने सन 1583 में करवाया था। कालिका पुराण में भी भगवान हयग्रीव माधव की उत्पत्ति की कथा और लोकेशन इसी स्थान से जुड़ी हुई है।


🔹9. शुक्रेश्वर मंदिर-

 गुवाहाटी के पान बाजार में स्थित यह देवालय भगवान शिव को समर्पित है। ब्रह्मपुत्र के दक्षिणी तट पर स्थित मंदिर के कारण हिंस क्षेत्र का नाम भी है। शिवलिंग का स्वरूप बहुत विशाल है।


इसके अतिरिक्त और भी ढेरों स्थल है। मंदिर, चर्च , अभ्यारण्य, संग्रहालय, amusement park, खेल के मैदान, भोजन स्थल, वन, वनवासी क्षेत्र इत्यादि है।


अमूमन लोकल साइट सीन २ से 3 हजार में ओमनी Van द्वारा हो जाता था 6 लोगो के लिए। नॉन एसी कमरे 500 से साढ़े 3 हजार में होटल रूम्स मिल जाते हैं।


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