RIP Sheru: शेरू, तुम्हारी सद्गति की कामना करते हैं।

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 RIP Sheru: शेरू ईश्वर तुम्हे सद्गति दें।

मध्यरात्रि के ढाई बजे हैं। पता नहीं क्यों नींद खुल चुकी है। 4 मिनट तक फेसबुक के नोटिफिकेशन देखने में, 1 मिनट मैसेंजर पर आए मेसेज देखने में, और 3 मिनट इंस्टाग्राम पर, "राम आएंगे और राम आएं हैं" के वीडियो और रील्स को लाइक किया। दुर्घटना से बचाने वाले गाने वाले reels को भी लाइक किया। "मेरे केशरी के लाल मेरा छोटा सा सा ये काम, मेरे राम जी से कह देना जय सियाराम" वाले वीडियो देखकर मन प्रसन्न हुआ कि अचानक रील्स में तबले की भांति भारी नितम्बों को मटकाते फिल्टर्ड वीडियो आने शुरू हुए। तत्क्षण इंस्टाग्राम को बंद करके रजाई से बाहर निकल, किचन में पानी गरम करने को गया। 

RIP Sheru



अपने बिछावन से पैर धरती पर रखा तो दोनों पैरों में हल्के से दर्द की अनुभूति हुई। कमरे से बाहर आया तो घना कुहासा द्वार पर आया हुआ था। एक चाची के देहांत के बाद मृतक भोज में इस भयंकर ठंड में परोसने के कारण बाएं पैर में ज्यादा दर्द हो रही है। घना कोहरा छाया हुआ है। शयनकक्ष से बाहर निकलते ही "द्वार" पर लगा बल्ब दिखाई नहीं दे रहा है। बस बल्ब की रोशनी दिखाई दे रही है। आंगन एकदम सफेद धुंध यानी कुहासे से भरी हुई है। ओस की बूंदें गालों पर टकड़ा रही हैं। स्वर्गलोक के सिनेमाई सीन की तरह सफेद धुंए में अप्सराएं मोहक नृत्य कर रही हैं, ठीक उसी प्रकार का सेट प्रकृति ने बनाया है। ठंड के कारण पानी गरम करने के लिए पतीले को विद्युत चालित चूल्हे पर रखा और पौने एक सौ मीटर दूर शौचालय की तरफ बढ़ा तो पता चला की बेल के पेड़ के नीचे से गुजरते समय में थोड़ा सा भय जो बचपन में लगता था, वह आज भी जीवित है।


शंका का समाधान करके जब आंगन में आया तो अचानक से कुछ याद आया, कुछ कमी सी लगी और दुख हुआ। अबतक शेरू नही आया नजदीक शेरू तो क्या उसके बोलने भौंकने की भी आवाज नहीं आई। पूरे आंगन का दुलारा शेरू एक जनवरी की रात को दुर्घटनाग्रस्त होकर इस संसार से विदा हो चुका था।


विगत 3 या 4 साल पहले एक मरणासन्न,सारे रोएं झड़े हुए, काले रंग के बूढ़े कुत्ते को छोटू (आरव) ने दबाई, भोजन और प्यार से उसे तंदुरुस्त कर दिया था। शेरू को कभी बंधन में नहीं रखा गया। घर से बाहर निकलते ही वह पैरों के पास आ जाता था। भतीजे-भतीजी को स्कूल छोड़ने जाते तो सुरक्षा प्रहरी बनकर जाता। रात में आंगन में आते ही वह हवेली के किसी कोने में किसी कमरे में आराम करता था, जैसे पूछ रहा हो, "रात में सूते के बदले कन्ने घूम रहलो हन, जैसे पूछ रहा हो कोनो दिक्कत छोड ते बोलो।" शेरू के जाने का मलाल रहेगा, क्योंकि दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले वह मेरे आगे आगे ही गांव के अंतिम छोड़ तक गया था। कितनी बार उसे वापस लौटाया लेकिन वह वापस नहीं हुआ और सुबह पता चला कि वह नहीं रहा। हालांकि जिस छोटू ने उसे 4 वर्ष से बचाए रखा, उसने अंतिम सांस भी उसी छोटू के गोद में लिया। उसने उसे डॉक्टर से इंजेक्शन भी लगवाए, तेल भी लगाया, भयंकर ठंडी से बचाने हेतु आग भी तपाया लेकिन वह अपनी उम्र जी चुका था।


आजकल के समय में जहां लोगो के पास अपने परिजनों और रिश्तेदारों के लिए समय नहीं है वहां इस भयंकर ठंड में घर से दूर छोटू ने दुर्घटना स्थल पर ही शेरू का प्राथमिक उपचार करवाया, तेल लगाया, गोद में रखकर आग तपाया। खुद ठंड सहते हुए डॉक्टर को लाना, इलाज करवाना और अंत शेरू को ॐ नमः शिवाय, और राममंत्र सुना कर उसका पारलौकिक जीवन भी संवारना एक विलक्षण भावुक हृदय वाले ही ऐसा कार्य कर सकते हैं।


अब शेरू है नहीं.... गोबर से लिपटा हुआ कमरा, द्वार, और आंगन ओस से भींगकर, मिट्टी, गोबर, रातरानी, बेली, और गेंदा के मिली-जुली सुगंधों से सुवासित हो रहा है। सड़क, दहलेज, आंगन और छत पर अब भी सूना जैसा लगता है। सड़क पर जाते समय अब भी लगता है जैसे साला दौड़कर आ जाएगा और रामजनम भाई के दुकान पर बिस्कुट खरीदवाए बिना कहीं जाने नहीं देगा।।


RIP Sheru: शेरू ईश्वर तुम्हे सद्गति दें।


RIP-Sheru-Prayers-for-Your-Peace
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