मेरी दादी मां कुछ लोकोक्तियों(kahawaton) का दैनिक जीवन में निरंतर प्रयोग करती थीं। उनके पास जीवन के विभिन्न दर्शनों का अपार अनुभव और लोकोक्तियों का खजाना था। आज उनकी तस्वीर देखते हुए अचानक से उनके द्वारा कही गई एक लोकोक्ति याद आ गई। मेरी दादी मां जी द्वारा कही गई लोकोक्तियों में एक लोकोक्ति प्रमुख था "पहले आत्मा, फिर परमात्मा"
दादी मां की लोकोक्ति : पहले आत्मा फिर परमात्मा |
उनके कहने का ये मतलब कदापि नहीं था की अपने आराध्य भगवान को भूलकर भोग विलास में लिप्त हो जाओ और पशुवत हो जाओ। बल्कि उनके द्वारा कहे गए इस इस लोकोक्ति का तात्पर्य था की खुद को कष्ट देना अथवा शारीरिक हानि कर लेना यानी की अपने भगवान अपने आराध्य को कष्ट देने के बराबर होता है। क्योंकि हम सब उसी परमात्मा के अंश है। अगर हम स्वस्थ और प्रसन्न रहेंगे तो अपने प्रिय इष्टदेव की पूजा, आराधना, अपने प्रिय परिजन मित्रों, साधु-संतो यहां तक की घरेलू पशुओं, सहायकों और रैयतों की भी देखरेख अच्छे से कर सकेंगे।
परम पूज्य दादाजी और दादी मां की श्वेत-श्याम तस्वीर यादों के एलबम से। |
खुद को प्रसन्न और स्वस्थ बनाए रखना हमारी ही नैतिक जिम्मेवारी और कर्तव्य है। तो अपना और अपने स्वजनों के स्वास्थ्य और खुशियों के प्रति हमेशा सतर्क रहें, उनसे बातें करते रहें। अपना सही तरीके ध्यान रखने पर ही आप अपने प्रिय व्यक्तियों या जीवों का सही तरीके से ध्यान रख रख सकते हैं।
अब जानते हैं की लोकोक्ति क्या है।
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी (Oxford Dictionary) के अनुसार,“
जनता में प्रचलित कोई छोटा सा सारगर्भित वचन, अनुभव अथवा निरीक्षण द्वारा निश्चित या सबको ज्ञात किसी सत्य को प्रकट करने वाली कोई संक्षिप्त उक्ति लोकोक्ति है।औ
धीरेंद्र वर्माजी के अनुसार,
“लोकोक्तियां ग्रामीण जनता की नीति शास्त्र है। यह मानवीय ज्ञान के घनीभूत रत्न हैं।”
बहुत सुंदर और अच्छा लगा आप का लेख।
जवाब देंहटाएंbahut achhha hai
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया👌
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